देश की खातिर|| राम प्रसाद बिस्मिल

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देश की ख़ातिर (काव्य) देश की ख़ातिर मेरी दुनिया में यह ताबीर हो।  हाथ में हो हथकड़ी, पैरों पड़ी जंज़ीर हो ॥  शूली मिले फाँसी मिले या कोई भी तदबीर हो।  ...

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